शाम ढले अक्सरहम नदी किनारे जाया करते थेकुछ देर बैठ करमैं कहता था तुमसे-“कुछ कहो ना... तुम्हारी ख़ामोशी बहुत चुभती है”अब भी कभी-कभीमैं नदी किनारे चला जाया करता हूँकुछ देर बैठ कर ये कहता हूँ-“कुछ कहो ना... “फिर चुप हो जाता हूँ - Piyush Mishra
शाम ढले अक्सरहम नदी किनारे जाया करते थेकुछ देर बैठ करमैं कहता था तुमसे-“कुछ कहो ना... तुम्हारी ख़ामोशी बहुत चुभती है”अब भी कभी-कभीमैं नदी किनारे चला जाया करता हूँकुछ देर बैठ कर ये कहता हूँ-“कुछ कहो ना... “फिर चुप हो जाता हूँ
- Piyush Mishra