रात-रात भर
जाग-जाग कर
नज्मों की शक्लों में तुमको
कितने ही ख़त लिखता था

कितना अरसा गुज़र गया अब
नज्में कहना भूल गया हूँ
ख़त लिखना अब छोड़ दिया है
पता तुम्हारा बदल गया है!

- Piyush Mishra