मंज़र दर मंज़र
रू-ब-रू-पसमंज़र
बस तारीक़ी ही तारीक़ी है तारी

ना सुबह होती है
ना पता है शाम का
तख़ल्लुस था आवारगी
अंजाम है आवारगी

- Piyush Mishra