लोग मुझसे पूछते हैं क्या मेरी पहचान जग में? मैं ये पूछूँ पाप है क्या गर रहा अनजान जग में? मैं स्वयं ही का पुजारी ना किसी की आस मुझमें बस यही है ख़ासियत कि कुछ नहीं है ख़ास मुझमें - Piyush Mishra
लोग मुझसे पूछते हैं क्या मेरी पहचान जग में? मैं ये पूछूँ पाप है क्या गर रहा अनजान जग में? मैं स्वयं ही का पुजारी ना किसी की आस मुझमें बस यही है ख़ासियत कि कुछ नहीं है ख़ास मुझमें
- Piyush Mishra