कोई शब गुज़ारो मेरी नींद में तुम
सहर ही न हो फिर, बस वो सपना चले
मैं गर टूट कर शाख से गिर पड़ूँ
तुम हवा बन के मिलना, कि रिश्ता चले।

- Piyush Mishra