किसी के क्रोध में छिपी पीड़ा
किसी के शब्दों में छिपा मौन
पेड़ से बिछड़ते पत्ते की उदासी
दिसम्बर की रातों की ख़ामोशी
दुनिया के बँटवारे में
सब मेरे हिस्से आए हैं

- Piyush Mishra