काट-छाँट कर यहाँ-वहाँ सेबरगद को बोनसाई बनायाअपने मन के जैसा उसको करते-करतेरिश्ते में से छाँव को इक दिन खो बैठे हम! - Piyush Mishra
काट-छाँट कर यहाँ-वहाँ सेबरगद को बोनसाई बनायाअपने मन के जैसा उसको करते-करतेरिश्ते में से छाँव को इक दिन खो बैठे हम!
- Piyush Mishra