हँसना-रोना,पाना-खोना
पा कर खोना, खो कर पाना
सीधे रस्ते,ठोकर खाना

इन बातों का क्या मतलब है
इन बातों को भूल गया हूँ


वीरानो में, सन्नाटो में
दर्द की अंधेरी रातों में
अपनी ज़ात को छोड़ आया हूँ

हर ज़र्रा मुझमें शामिल है
मैं ज़र्रों में डूब गया हूँ


मैं शहरों में, मैं जंगल में
पर्वत-पर्वत,सहराओं में
अपनी ही धुन में रहता हूँ

दुनिया मुझको देख रही है
मैं दुनिया से ऊब गया हूँ

- Piyush Mishra