"बोलते हुए कभी साँस भी ले लिया करो" कॉफ़ी की सिप लेते हुए मैंने कहा।
"तो मैं क्या बिना साँस लिये ज़िंदा हूँ?" एक लम्बी साँस लेते हुए उसने जवाब दिया।
"ग़ालिब जिसका चाचा हो, लता मंगेशकर दीदी हो और शाहरुख़..." उसकी फेसबुक टाईमलाईन दिखाते हुए मैं बोलता जा रहा था तभी उसने मेरी बात काटते हुए कहा- "बकवास बंद करो अपनी! "
मैं चुपचाप अपनी कॉफी पीने लगा।
" अच्छा ये बताओ, तुम जो ये सब लिखती हो, कोई पढ़ता-वढ़ता भी है?" मैं उसकी आँखों में आँखें डाल कर मुस्कुराया।
" मुझे फ़र्क नहीं पड़ता, कोई पढ़े या भाड़ में जाए" चिढ़ते हुए बोली वो।
मैंने हँसते हुए कहा-" तो डायरी में लिख लिया करो"
कॉफ़ी मग टेबल पर पटक कर वो खड़ी हो गई और गुस्से में कहा- "तुम क्यों पढ़ते हो जब मेरा लिखा पसंद नहीं है?" जाने के लिये वो अपना बैग समेटने लगी।

उसका हाथ पकड़ते हुए मैंने कहा- "मुझे तुम पसंद हो"

- Piyush Mishra