और ख़्याल येकुछ इस तरहउलझे-लिपटे हैं साँसों में कि साँसों का ये क़ैदीख़्यालों का क़ैदी हो गया हैया शायद- तुम्हारा! - Piyush Mishra
और ख़्याल येकुछ इस तरहउलझे-लिपटे हैं साँसों में कि साँसों का ये क़ैदीख़्यालों का क़ैदी हो गया हैया शायद- तुम्हारा!
- Piyush Mishra