22 JUL 2017 AT 8:29

सुबह के इस पहर में फिर आँख खुल गयी
अंधेरे मे उसका अक्स़ फिर नज़र आया है।

जानता हूँ मेरे मन का भ्रम है वो
फिर भी... ना जाने क्यों... लगता है जैसे।

इस बार हकीक़त से ज्यादा हकीक़त बन
वो मेरीे नज़रो के सामने आया है।

- इकराश़