मिरे साथ देखो अजब मश़गला है,
अकेला हूँ इतना कि दिल में ख़ला है।
धुआँ ही धुआँ है, के देखो जिधर भी,
जला दिल कहीं है, कहीं घर जला है।
झुकाया है कदमों में मैंने ज़माना,
बता फिर मेरे यार तू क्या बला है।
सुनो नींद आती नहीं है मुझे अब,
घरोंदा मिरा यार जब से जला है।
इबादत को खंडित जब करना तुझे था,
मुझे बुत बना कर तुझे क्या मिला है?
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