3 AUG 2017 AT 17:03

कैसे तलाशूँ दुनिया की भीड़ में तुझे
बसता तो हरदम मेरे ज़हन में है तू

खोजती निगाहें नासमझ हैं जरा ।।
- 3.8.2017

- पारुल भार्गव©️