उसने बड़े गुस्से में पूछा "क्या तुम्हें दोस्ती और प्यार मे फर्क़ नहीं नजर आता?"
मैंने भी बहुत प्यार से जवाब दिया "जी बिलकुल! आसमान ज़मीन का फर्क़ है"
आप तो आसमान है, जिसे चाह के भी नहीं पाया जा सकता है!
और मेरे दोस्त वो ज़मीन है जिनसे मेरी बुनियाद है!
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