Parikshit Khajuria   (परीक्षित खजूरिया "PK")
68 Followers · 20 Following

Joined 8 November 2017


Joined 8 November 2017
17 JUN 2023 AT 12:20

चलो अंधेरों को रोशन कर,
गम की अफवाहों पर वार करें।
कुछ दीपक तुम जलाओ,
कुछ फुलझड़ीयां हम गुलज़ार करें।
नफ़रत की इस गर्द को कुछ हम यूं बेजार करें,
की डूबती हुई कश्तियों का हम मझधार बनेंं।
कुछ को कहानियां तुम सुनाओ,
कुछ को हम शर्मसार करें।
यह पागल पागल आंखों को,
इन खराब नियतों की राहों को,
जो खुद को झूठ से हैं तौलती,
बस दिलों में जहर हैं घोलती,
उन सब अंधेरों को रोशन कर,
हम अफवाहों पर वार करें।
कुछ दीपक तुम जलाओ,
कुछ फुलझड़ीयां हम गुलज़ार करें।

-


25 AUG 2022 AT 12:12

जिंदगी दौड़ से शुरू हुई थी
अब दौड़ ही जिंदगी बन गई है।
इतना दौड़ा मैं कूचा कूचा,
के कूचे कूचे में जिंदगी खो गई है।
राज़दार, हमराज़दार और साज़दार जितनी भी थे,
सब चलते चलते कुछ रुकते रुकते बहुत दूर से हो गए हैं।
जिंदगी की मौत से शुरू हुई थी,
अब मुझ में ही कहीं खो गई है।

-


28 OCT 2021 AT 22:27

मेरा पागलपन ही तो तेरे दिल को जरूरी था,
तूने कहा था कि तू मत आना,
पर मेरा मिलना भी तो जरूरी था।
जिस वक्त जिंदगी को मिला था आखिरी मौका,
यूं तेरा छोड़ कर चला जाना भी क्या जरूरी था?

-


28 OCT 2021 AT 22:20

कुछ दर्द इतने अजीब होते हैं,
जाने क्यों फिर भी दिल के करीब होते हैं।
कुछ लोग भी इतने बदनसीब होते हैं,
के बस नसीब वालों को ही नसीब होते हैं।

-


14 JUL 2021 AT 23:33

जा रहे हो तो चले जाओ,
कि कब किसी के बस में है किसी को रोकना।
बस एक बात सुनते जाना...
कोई हमसा मिले तो बताना,
हम खुद आएंगे सलाम करने।

-


15 MAR 2021 AT 1:03

I have not met someone for ages!

-


22 FEB 2021 AT 9:12

Paid Content

-


22 FEB 2021 AT 3:38

मेरे पास जो था वह सब दे दिया मैंने तुम्हें,
अब कुछ भी नहीं बाकी बचा मेरा मुझ में।
मैं जानता हूं तुमने कुछ मांगा भी नहीं मुझसे,
बस इसलिए ही कुछ कह भी तो नहीं पा रहा हूं खुद से।
उम्मीदें कुछ टूटती जुड़ती सी रहती हैं आजकल मेरी,
मन भी बहुत सारे इशारे करता रहता है आजकल,
पर क्या करूं मैं सुनता ही नहीं, आदत है मेरी।
तू कभी मुझ में समाई हुई सी, तो कभी मुझ से कोसों दूर सी नज़र आती है,
तेरी अलग बात है, तुम मेरे पास होते हुए भी खुद को अलग सा कर जाती है।
बहुत खुश हूं मैं आजकल और सपने टूटने के डर से बेचैन सा भी रहता हूं,
बांधकर नहीं रखना चाहता हूं तुझे, बस तेरे पल-पल बदलते ख्यालों से डरता हूं।
मैं जानता हूं कि तुझे मुझ से अच्छा कोई मिल ही जाएगा,
तू रह भी जाएगी, गुजारा कर ही लेगी,
पर डरता हूं, जो तेरी आत्मा को चाहिए,
वो क्या तुझे कभी मिल भी पाएगा?
बस इसीलिए मेरे पास जो कुछ था वो सब दे दिया मैंने तुम्हें,
अब कुछ भी नहीं बाकी बचा मेरा मुझ में।

-


30 NOV 2020 AT 0:23

बददुआओं भरी जिंदगी कभी जी है तुमने?
खुशियां आते-आते कभी गम की चाय पी है तुमने?
दो टूक शब्दों में खड़े-खड़े शर्मिंदा कर के,
मेरा वक्त निकल जाता है मेरे चेहरेपे हंस के,
तुम जो भी सोचते हो ऐसा मुमकिन ही ना हो,
अपनी सारी जिंदगी में ऐसी जिंदगी कभी जी है तुमने?
बददुआओं भरी जिंदगी कभी जी है तुमने?
खुशियां आते-आते कभी गम की चाय पी है तुमने?
खुशी क्या होती है यह तो कभी जाना ही नहीं मैंने,
जब-जब खुश रहा उपहार में कोई ना कोई बड़ा दुख पाया मैंने।
कभी हाथों में आती खुशी खोई है तुमने?
बददुआओं भरी जिंदगी कभी जी है तुमने?
खुशियां आते-आते कभी गम की चाय पी है तुमने?

-


29 NOV 2020 AT 15:31

वो दर्द बड़ा तड़पा जाता है,
जब आँखों के कोने से एक आँसू ही बह पाता है।

-


Fetching Parikshit Khajuria Quotes