14 AUG 2017 AT 21:22

इल्जाम अभी कुछ लगने हैं
कुछ लीपापोती होनी है
सामान अभी कुछ बंटने हैं
कुछ छीना-झपटी होनी है

कुछ नन्हें तारे टूटे हैं अम्बर से
अभी उनकी शिनाख़्त होनी है
कुछ हत्यारे लिपटे हैं खंजर से
अभी उनपे सियासत होनी है

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