जिंदगी पेड़ से बिछड़े उस सूखे पत्ते की तरह हो गई है,जिसे अगर कोई उठाता भी है तो जलाने के लिए। - Parampreet kaur
जिंदगी पेड़ से बिछड़े उस सूखे पत्ते की तरह हो गई है,जिसे अगर कोई उठाता भी है तो जलाने के लिए।
- Parampreet kaur