बस संग रह जाती है
नाजुक सा रिश्ता
हमसे खो सा जाता है
कहीं होती आंख नम
कहीं कोई हंसता खिलखिलाता है
विधाता भी अपना
अलग रंग ही दिखाता है
जिसके बिना हम जी ना पाए
उसका साथ छूट जाता है
मर मर के जीते है
कैसे कहे , किसे कहें
ये दर्द
सहा नहीं जाता है
- Khawahishon ke "Pankh"