दुःख ढंगरता है
सुख के ऊपर से
किसी रोड रोलर की तरह,
और कुछ समय
सपाट सड़क की तरह
ठहर जाता है सब कुछ ज्यों का त्यों
कितनी हलचल कितना शोर
फिर भी बना रहता है वह ठहराव
सुख आता है
जैसे उखड़ती है सड़क
और छिटक जाती हैं गिट्टियाँ
इधर से उधर
सुख
सड़क की तरह उखड़ जाने,और
गिट्टियों की तरह छिटक जाने की क्रिया है .
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