Pankaj Rajawat  
1.4k Followers · 158 Following

दर-दर भटकता शायर हूं मैं,
हां खुद से ही भागता कायर हूं मैं।
Joined 19 December 2017


दर-दर भटकता शायर हूं मैं,
हां खुद से ही भागता कायर हूं मैं।
Joined 19 December 2017
8 JUL 2022 AT 16:46

मेरे ख्यालों‌ में तेरा जिक्र ‌लाजमी सा है,
तुम्हें पाना मेरी किस्मत में नहीं है शायद।

-


9 JAN 2022 AT 21:47

गांव की सड़कें
हमेशा जवान नहीं रहतीं
शहर के हाईवे तरह
इन्हें झेलना पड़ता है
बुढ़ापा
तकनी होती है राहें
बहाने होते हैं आंसू
जलना होता है विरह में
अधेड़ मां-बाप की तरह...

-


5 JAN 2022 AT 23:59

एक नज़्म
जो मैं तुम्हें
समर्पित करना चाहता था
आज तलक अधूरी है
हमारी मुलाकात की तरह,

और जब-भी मैंने इसे
मुकम्मल करना चाहा है
तुम हर बार
अनसुलझी पहेली की तरह
मेरे सामने खड़ी हो जाती हो

तुम्हें लिख पाना
मेरे लिए उतना ही जटिल है
जितना कि एक प्यासे के लिए
पानी को बयां कर पाना...

-


20 NOV 2021 AT 21:46

मैं कोई लेखक, कवि‌
या कथाकार नहीं हूं
न ही मुझे आता है
शब्दों को यथार्थ रूप देना,
न ही मैं भिज्ञ हूं
अलंकारों, रसों या छंदों से
मुझे आता है तो केवल
तुम्हारे अधरों से फूटे
स्वरों को मूर्त रूप देना
और सिर्फ इतने ‌में ही अगर
ये लोग मेरी तुलना
महान लेखकों से करते हैं
तो मुझे लगता है कि उन्हें
एक बार तुम्हें अवश्य
सुनना चाहिए।

-


29 AUG 2021 AT 0:42

रात को होना चाहिए
और भी ज्यादा लम्बी,
और भी ज्यादा काली
ताकि
छींटे उजालों के
इसकी रौनक में
लगाने न पाएं दाग,
न ही मिटाने पाएं
इसकी खामोशी को
और बनी रहे
रात की ख़ूबसूरती
असंख्य युगों तक
यूं ही...

-


19 MAY 2021 AT 22:05

अतीत के धुंधले पड़े पन्ने
अनचाही यादों के संदूक,
कई अवांछित किस्से और
अनगिनत ऐसे वाक़यात
जिनसे दूर भागता रहता हूं,
रात के तीसरे पहर में
खुद-ब-खुद
जीवित हो उठते हैं
और तैरने लगते हैं
आंखों के गहरे
समंदर में,
पुनर्जीवित हुए ख्याल
खुद को सचेत रखने की
बेजोड़ कोशिश करते हैं,
परिणामस्वरूप
नींद अब तक आंखों को
अलविदा कह चुकी होती है
और नींद के विरह से
व्याकुल आंखें
एकटक छत को
तकती रहतीं हैं...

-


15 MAY 2021 AT 16:28

बस एक बात का गुमां है मुझे
कि गुमांं मुझे किसी बात ‌का‌ नहीं...

-


13 MAY 2021 AT 0:56

'शब्द'

कुछ शब्द‌ अनकहे‌ रह जाते हैं
कुंठित हृदय के
किसी कोने में दफ्न
पुरानी ‌याद‌ की तरह

शब्द ‌जो
मन के‌ पन्ने पर
बार‌-बार‌‌ लिखकर
मिटाये जाते हैं,
तरासे जाते‌ हैं
अलंकारों की
छैनी से,
रंगे जाते हैं
नौ रसों के
लेप से

दम तोड़ ‌देते हैं
और बनकर रह जाते हैं
बस एक याद
किसी विशेष से
कहे जाने ‌के
इंतज़ार में।

-


26 APR 2021 AT 22:52

"Love"

Easy to feel, hard to express...

-


24 APR 2021 AT 13:18

शरीफों की बस्ती से निकाले हुए
कहां जाएं हम ऐबों को पाले हुए

देखना एक दिन मर ही जायेंगे हम
तेरी यादों को ज़हन में संभाले हुए

हसरतों ने भगाया है इस कदर
कि चलते-चलते पैरों में छाले हुए

अबकी मिलेगी तो‌‌ लगा लूंगा गले
अरसा हो‌ गया है‌ मौत को टाले हुए

-


Fetching Pankaj Rajawat Quotes