Pankaj Garg   (पंख (flight of dreams))
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Joined 10 December 2016


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Joined 10 December 2016
22 DEC 2023 AT 10:50

दिल का सारा हाल अपने इकलौते दोस्त को सुना दिया
आईने के सामने खड़ा हुआ और सारा दर्द बता दिया

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21 NOV 2023 AT 8:46

गम ने साथ नहीं छोड़ा छुट्टी के दिन भी
इस इतवार की इससे ज्यादा तौहीन क्या होगी

#IND V/s AUS
2023 World Cup

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21 NOV 2023 AT 8:43

बचपन से हम topper थे

Board exams देने गए तब तबियत खराब हो गयी


IND V/s AUS
2023 world cup

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3 AUG 2023 AT 11:54

आज भी चिड़ाते है कुछ लोग मुझे उसका नाम लेकर
जिस शख्स के दिमाग में मेरा नाम कभी था ही नहीं

कैसे समझाऊँ मैं उन नादानों को उनकी नादानियाँ
वो हाल पूछते हैं उसका जिससे मैं कभी मिला ही नहीं

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21 JUL 2023 AT 9:27

शर्म भी शर्म से डूब मरे, वो काम किया इन नीचों ने
झांक रही है नैतिकता सर झुकाये कहीं दरीचों से,
रोती है मणिपुर की कलियाँ हो निर्वस्त्र चौराहों पर
सोता है माली बगीचे का, जूं नहीं रेंगती दरबारों पर
मानवता ने निज मुख म्लान किया,देखा जब अपना उपहास
क्या यही है भारत की गरिमा,जिस पर मैं करती थी नाज
उस पर भी ये भरी भीड़ में खेले ममत्वीय उरोजों से
चीत्कार उठा मानवता की घायल आत्मा की खरोंचों से
पराजित हुआ द्वापर का दुःशासन, त्रेता के रावण ने भी हाथ जोड़ लिए
कलियुग के शैतान जब उतरे, इनको भी पीछे छोड़ दिये
नग्न सिर्फ दो बाला नहीं,पूरे देश के कपड़े उतरे हैं
हुंकार उठाये व्यथित ह्रदय, झुके हुए हर चेहरे हैं
पतन निश्चय है, अटल सत्य है, इतिहास स्वयं को दोहराता है
प्रत्येक दुशासन चीर हरण कर अपना मस्तक चिरवाता है
प्रश्न यही है दरबारों से, ये आखिर होना ही क्यूँ था
पूर्वोत्तर की पावन धरती पर कलंक लगना ही क्यूँ था
शर्म करो सरकारों अब सिर्फ भाषण से काम नहीं चलता
झूठे गुस्से और वादे के शासन से काम नहीं चलता
धृतराष्ट्र ना बनो खुली आँखों के,निकलो सत्ता की दुकानों से
चुप ना रहो कुछ तो सीखो इतिहास के काले पन्नों से


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15 APR 2023 AT 13:25

आईने की तरह होते हैं, टूट कर बिखर जाते हैं
बहुत रोते हैं वो लोग, जो दूसरों को हँसाते हैं

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13 APR 2023 AT 10:30

एक ख्वाहिश थी जो पूरी होनी थी, रह गयी
एक दबी चीख जो होंठों से खुलनी थी, रह गयी
चंद लम्हों की उमर ढलने पर समझ आएगा यारों
एक ज़िन्दगी थी, जो खुल कर जीनी थी, रह गयी

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29 MAR 2023 AT 11:10

रज रज के ढूंढा उसकी आँखों के किनोरों पर
आँसू का कोई कतरा कहीं मिला भी तो नहीं

बिन उसके प्यार के तो फिर भी जी लेते हम
गम तो ये है कि उसे मुझसे कोई गिला भी तो नहीं

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19 JAN 2023 AT 12:26

तेरे चूल्हे की आग में अब सुलगन का एहसास लेने दे
ये तड़प सिर्फ तेरी नजरों की हलचल से नहीं मिटेगी

सेंकने थे बदन मुझे अब तेरे अलाव जैसे यौवन पर
क्यूँकि इस बार की सर्दी सिर्फ कम्बल से नहीं मिटेगी

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29 AUG 2022 AT 16:54

पेशानी पे तेरे अब भी शिकवों की लकीरें निकली हैं
एक उम्र बसर हुई, मगर बातें अभी कहाँ संभली हैं
मुझे अपनी आदतें बदलने की नसीहतें तो देते रहो
मगर तुमने भी तो अपनी आदतें अभी कहाँ बदली हैं

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