Pankaj Singh Chawla   (P. S. Chawla✍)
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Joined 24 June 2017


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Joined 24 June 2017

रिमझिम फुहार,
छाते की आड़,
झल्ली शरमाई,
हुई आँखे चार।

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उसकी चूड़ियों की छनछन में एक पुकार रहती है,
वो रहती है जहां कहीं जैसे मेरे इंतज़ार में रहती है,
शोर करती है पायल भी उसकी हर दफ़ा छमछम,
सुनकर गीत मलहार वो आंगन में थिरकती रहती है।

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mumma says...
kya baat hai kuch to chupa rhe oo....

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जब पैर ही कुल्हाड़ी पर रख दिया जाए...

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YESTERDAY AT 20:16

नजाने किन ख्यालों में खोया होता,
छाया रहता है तेरा ही सरूर हरदम,
नजाने खुद ही खुद में खोया होता,
लिख लिखकर तुम पर यूं शायरियां,
तेरे इश्क़ में मैं यूँ झल्ला ना होता ।

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YESTERDAY AT 20:00

सुनो...!
यूँ परेशान मत हुआ करो,
थक गई हो तो सो जाओ कुछ देर,
यूँ खुली किताबों पर आँसू मत बहाया करो।

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YESTERDAY AT 18:33

वेख तेरे इश्क़ ने की जादू कित्ता ए,
धडकड़ी रूह नूँ तेरे नाम कित्ता ए,
करदा जद वी दीदार तेरा सोहनेयो,
बुकल च लेन ली बेक़रार कित्ता ए।

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YESTERDAY AT 18:02

सुनो...!
मैं जो सोच रही हूं तुम ही बता दो,
तुम कहते हो न मैं तुम्हारी निगाहें पढ़ लेता हूँ...

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21 APR AT 23:24

रात हमें ही लिख रही है,
कभी ख़ुशी कभी ग़म तो,
कभी इश्क़ लिख रही है।

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20 APR AT 19:54

सुनो...!
डूबते सूरज की ठंडक को महसूस करना कभी,
लाली को उसकी मस्तक से लगाकर देखना कभी,
कैसा होता है इसका एहसास ये मैं तो न बता पाऊंगा,
मग़र, इतना कहूंगा किसी शाम ये एहसास करना कभी।

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