आज मैं तुमको एक नज्म बताता हूं,
जिसने मुझे सम्भला उसकी कहानी सुनाता हु |
उसकी मोहब्बत ने मुझे प्यार का मतलब सिखाया है,
मेरी गलतियो को माफ़ कर गले से लगाया हू||
मैने राम के किरदार को न निभया है,
उसे सीता बनते हुए देखा हूं ||
उसकी गलियों को भूल स्कता नहीं में,
अपना वजुद का एक हिसा छोड आया हु ||
वो प्यार, समर्पण, तवज्जो,नज़ाकत,तसव्वुर,राब्ता,रूहानियत की जिंदा तस्वीर है,
में महादेव के वरदान को अपने पास पाया हु ||
तेरा होना ही मेरे लिए ऐसा है,
बरिश में भीगने का एहसास पाया हु ||
तू मातृत्व, सद्भाव,शक्ति, प्रेम, मित्र का संपूर्ण मेल है,
तूने जो दिया उसे सदा याद रख अपने पास पाया हु ||
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