ये राहें मुहोब्बत की,बड़ी गुमनाम हैं 'साहिब'।जो चल दिया इनपे,'मुसाफ़िर',मंज़िल न फ़िर पाये।। - नफ़स
ये राहें मुहोब्बत की,बड़ी गुमनाम हैं 'साहिब'।जो चल दिया इनपे,'मुसाफ़िर',मंज़िल न फ़िर पाये।।
- नफ़स