15 JUL 2018 AT 17:41

ये जो रियासत-ए-मुहोब्बत है 'साहिब',
यहाँ सियासत रोज़ होती है।
रिवायत-ए-मुहोब्बत,रू-ब-रू जंगो-जदल होती है।
यहाँ तोहमत-ए-अय्यार,मानो,लज़्ज़त-ए-आज़ार होती है।।

- नफ़स