बहुत रोता हूँ तन्हाईयों से लिपट कर।मैं जी रहा हूँ यूँ,ख़ुद को ख़ुद में समेट कर। -
बहुत रोता हूँ तन्हाईयों से लिपट कर।मैं जी रहा हूँ यूँ,ख़ुद को ख़ुद में समेट कर।
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वक़्त लम्हां लम्हां मेरे हाथों से ज़िन्दगी चुराता है।सब कुछ खो कर भी “ओशिर”यूँ आज़ादी में मुस्कुराता है। -
वक़्त लम्हां लम्हां मेरे हाथों से ज़िन्दगी चुराता है।सब कुछ खो कर भी “ओशिर”यूँ आज़ादी में मुस्कुराता है।
कुछ लोग मुझ से प्यार करते है।कुछ मुझे नफरत भी करते है।मैं ख़ुद में इतना बंटा हुआ हूं.भीड़ में ख़ुद को तनहा पाते है। -
कुछ लोग मुझ से प्यार करते है।कुछ मुझे नफरत भी करते है।मैं ख़ुद में इतना बंटा हुआ हूं.भीड़ में ख़ुद को तनहा पाते है।
बिछड़ कर भी उस से जुड़ा रहा।मिल कर भी उस से जुदा रहा।क्या बताये दोस्तों किस्मत की बातें..बातें हुईं फिर भी, वो रूठा रहा। -
बिछड़ कर भी उस से जुड़ा रहा।मिल कर भी उस से जुदा रहा।क्या बताये दोस्तों किस्मत की बातें..बातें हुईं फिर भी, वो रूठा रहा।
दर्द को तू आज दवा बना कर पी जा।ज़िन्दगी बहुत छोटी हैमुस्कुरा के जी जा। -
दर्द को तू आज दवा बना कर पी जा।ज़िन्दगी बहुत छोटी हैमुस्कुरा के जी जा।
सज़दे किये बहुत हमने ,उसके इश्क़ आगे।उसे ख़ुदा बना कर हमने,ख़ुद से ही दूर भागे।ख़ुद को तन्हा पाया जब नींद से हम जागे। -
सज़दे किये बहुत हमने ,उसके इश्क़ आगे।उसे ख़ुदा बना कर हमने,ख़ुद से ही दूर भागे।ख़ुद को तन्हा पाया जब नींद से हम जागे।
प्यार में बहुत पाबन्दियों से बंधा हूँ।कई शर्तों से हमारा इश्क़ दम घुट रहा है। -
प्यार में बहुत पाबन्दियों से बंधा हूँ।कई शर्तों से हमारा इश्क़ दम घुट रहा है।
वक़्त लम्हा लम्हा मेरे हाथों से ज़िन्दगी चुराता है।सब कुछ खो कर भी “ओशिर”यू आज़ादी में मुस्कुराता है। -
वक़्त लम्हा लम्हा मेरे हाथों से ज़िन्दगी चुराता है।सब कुछ खो कर भी “ओशिर”यू आज़ादी में मुस्कुराता है।
रात के अंधेरे में बिस्तर पेहर रोज़ मैं रोया हूँ।बेहतरीन चीज़ जिस से चाहा,मैं रोज़ खोया हूँ। -
रात के अंधेरे में बिस्तर पेहर रोज़ मैं रोया हूँ।बेहतरीन चीज़ जिस से चाहा,मैं रोज़ खोया हूँ।
सब्र तो सिर्फ कब्र पे मिलते है।जीते जी तो इंसान दुख से जिंदा रहते है। -
सब्र तो सिर्फ कब्र पे मिलते है।जीते जी तो इंसान दुख से जिंदा रहते है।