उन दिनों एेसा होता था
हम ऐसे रहते थे, लड़ते थे, खेलते थे
तू रोता था, मैं हँसता था||
ये तस्वीरें, कई भावुक क्षण समेत लेती है
एक नज़र देखने मात्र से
एक नई दुनिया घुमा लाती है||
वो दुनियाँ जिसमे हम बस जाना चाहते हैं
अपनी ज़िंदगी के कुछ पलों को वही रोक कर उस पल मे डूबना चाहते हैं||
वो एक अलग ही दुनिया होती है
जिसकी हर बारीक चीज़ भी हमे याद होती हैं|
वो तुम्हारा मार के भाग जाना
फिर मेरा रोते हुए मम्मी के पास जाना
फिर मम्मी का तुम्हे झूठ-मूठ का मारना
और फिर अंत मे तुम्हारा "कुट्टा" हो जाना||
पर आज वो लड़ाई की यादें भी मुस्कान लाती है हमारे चेहरे पर
जी करता है कि एक बार
बस एक बार
वो सारी चीज़े तस्वीरों से बाहर आए
ताकि हम उन पलो को एक बार फिर जी पाए
ज़िंदगी उसी वक्त पर रुक जाए
और हम तुम संग कुछ पल और बिता पाए||
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