NS UTKARSH   (नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष” ©)
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Joined 10 August 2017


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Joined 10 August 2017
13 JAN 2019 AT 9:05

अथाह अंबुधि मोह का, इधर तीर संसार
नौका सम हरि नाम है, उधर तीर भव पार
जपे तो भव को जाये
नहीं तो वो पछताये

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12 JAN 2022 AT 21:45

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8 JAN 2022 AT 10:33

कामातुर कामनी की कामना को कामवश,
कामदी करे कामद, कामदेव जानिये

व्याकुल विरह बीच विरही की विरहदशा,
वेदना में वेदना की, पराकाष्ठा मानिये

साधना सफल साँच, साधित सा सेवाभाव,
सारे सुख त्याग, सुख, परहित ठानिये

कहे है नवीन,कवि, नम्र हो, अनभूति करे,
भूत - वर्तमान जोड़, भविष्य निकालिये

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5 JAN 2022 AT 20:44

जिन नैनन हैं देखते, तिन कूँ तैसो रूप
गर्म नर्म औ सर्द सी, तीन ऋतुन की धूप

दया,धर्म,धीरज, क्षमा,दृढ़ता, सद् व्यवहार
छः आभूषण वीर का, करते हैं शृंगार

मर्यादित व्यवहार ही, मनुष्यत्व पहचान
सब जीवों में श्रेष्ठ तब, रहा मनुज लो जान

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2 JAN 2022 AT 13:20


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19 DEC 2021 AT 22:47


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19 DEC 2021 AT 22:42


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10 NOV 2021 AT 9:14







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11 AUG 2021 AT 7:28

कशिश प्रेम की वहीं पनपती, जहाँ प्रेम को मान मिले
मजा इश्क़ का बढ़ जाता जब, रिश्ते को पहचान मिले
यूँ तो कहते लोग बहुत हम, जान इश्क़ पे वारेंगें
सच्चा इश्क़ उसे ही जानो, जिसमें जीवनदान मिले

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24 JUN 2021 AT 20:22

आप सभी सुधीजनों के लिये एक और
नया भजन “मेरी प्राण प्यारी राधिका”
शीर्षक से उत्कर्ष भजनावली में जल्द

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