अथाह अंबुधि मोह का, इधर तीर संसारनौका सम हरि नाम है, उधर तीर भव पारजपे तो भव को जायेनहीं तो वो पछताये -
अथाह अंबुधि मोह का, इधर तीर संसारनौका सम हरि नाम है, उधर तीर भव पारजपे तो भव को जायेनहीं तो वो पछताये
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कामातुर कामनी की कामना को कामवश,कामदी करे कामद, कामदेव जानियेव्याकुल विरह बीच विरही की विरहदशा,वेदना में वेदना की, पराकाष्ठा मानियेसाधना सफल साँच, साधित सा सेवाभाव,सारे सुख त्याग, सुख, परहित ठानियेकहे है नवीन,कवि, नम्र हो, अनभूति करे,भूत - वर्तमान जोड़, भविष्य निकालिये -
कामातुर कामनी की कामना को कामवश,कामदी करे कामद, कामदेव जानियेव्याकुल विरह बीच विरही की विरहदशा,वेदना में वेदना की, पराकाष्ठा मानियेसाधना सफल साँच, साधित सा सेवाभाव,सारे सुख त्याग, सुख, परहित ठानियेकहे है नवीन,कवि, नम्र हो, अनभूति करे,भूत - वर्तमान जोड़, भविष्य निकालिये
जिन नैनन हैं देखते, तिन कूँ तैसो रूपगर्म नर्म औ सर्द सी, तीन ऋतुन की धूपदया,धर्म,धीरज, क्षमा,दृढ़ता, सद् व्यवहारछः आभूषण वीर का, करते हैं शृंगारमर्यादित व्यवहार ही, मनुष्यत्व पहचानसब जीवों में श्रेष्ठ तब, रहा मनुज लो जान -
जिन नैनन हैं देखते, तिन कूँ तैसो रूपगर्म नर्म औ सर्द सी, तीन ऋतुन की धूपदया,धर्म,धीरज, क्षमा,दृढ़ता, सद् व्यवहारछः आभूषण वीर का, करते हैं शृंगारमर्यादित व्यवहार ही, मनुष्यत्व पहचानसब जीवों में श्रेष्ठ तब, रहा मनुज लो जान
कशिश प्रेम की वहीं पनपती, जहाँ प्रेम को मान मिलेमजा इश्क़ का बढ़ जाता जब, रिश्ते को पहचान मिलेयूँ तो कहते लोग बहुत हम, जान इश्क़ पे वारेंगेंसच्चा इश्क़ उसे ही जानो, जिसमें जीवनदान मिले -
कशिश प्रेम की वहीं पनपती, जहाँ प्रेम को मान मिलेमजा इश्क़ का बढ़ जाता जब, रिश्ते को पहचान मिलेयूँ तो कहते लोग बहुत हम, जान इश्क़ पे वारेंगेंसच्चा इश्क़ उसे ही जानो, जिसमें जीवनदान मिले
आप सभी सुधीजनों के लिये एक और नया भजन “मेरी प्राण प्यारी राधिका”शीर्षक से उत्कर्ष भजनावली में जल्द -
आप सभी सुधीजनों के लिये एक और नया भजन “मेरी प्राण प्यारी राधिका”शीर्षक से उत्कर्ष भजनावली में जल्द