बादलों का गरजना किसी जुल्म से कम नहीं, बारिश की हर बूंद उसके जुल्म की दासता सुनाती है। ये बिजली जो आसमान में कड़कती है, यही है जो उसको डराती, धमकाती है। बारिश की बूंद होना आसान काम नहीं, खुद का दर्द छुपाकर तुम्हें सुकून देकर जाती है। आती है अपना सब कुछ छोड़ कर, और इस रेत में फना हो जाती है।