गुज़ारिश


गुस्सा हो जो अगर, तो बता दो हमसे।
नाराज़गी है अगर, तो जता लो हमसे।
दुख है गर कोई,तो ज़ाहिर कर दो ज़रा हमसे।
बस यूं घुट-घुट के ना जियो, ये गुज़ारिश है तुमसे।

- नीतिका