Fakeer   (फ़क़ीर)
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Joined 29 October 2016


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22 MAY 2021 AT 16:46

ये समय भी कट जाएगा
ज़िंदगी ही तो है!

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20 JAN 2021 AT 19:03

Silenced by the disparities in life,
My tongue got sharper!

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19 JAN 2021 AT 6:49

मज़बूत सी मोहब्बत
मजबूर सी हो गयी,

वो दूसरों के घर खाना बनाने वाली माँ
भूकें पेट ही सो गयी,

ना जाने क्या लिखा है इन हाथों में?
शायद लकीरें सुलझने से पहले ही खो गयी!

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12 JAN 2021 AT 7:30

I am so used to hearing IT terms,
That even “Severus Snape”,
Sounds to me like “Servers Tape”

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12 JAN 2021 AT 7:26

कुछ दर्द सा उठता है,
तेरे नज़र आने पर,

शायद वो अक्स है मेरा
जो तुझमें मुस्कुराता हुआ नज़र आता है!

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17 NOV 2020 AT 20:59

थम जा ऐ दिल ज़रा,
इन ख़्वाबों की दुनिया से बाहर तो निकल

कहीं हक़ीक़त की दस्तक से,
खुद को ना समेटना पड़े!

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10 NOV 2020 AT 19:27

वो जी उलझे उनसे हम कुछ इस तरह,
की आज भी सुलझ ना सके!

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9 NOV 2020 AT 22:32

मेरे ग़म में वो शरीख ना सही,
मुझ में फिर भी वो ज़िंदा तो हैं!

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1 JUL 2020 AT 17:15

लफ़्ज़ नहीं,
दिल रख के देता था मैं, उन लिखे ख़तों में, मैं



अब ना लफ़्ज़ बचे
और दिल दोनो बिखर से गए हैं!

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6 MAY 2020 AT 13:10

Away from the distractions of the world.
There exists just you in me.

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