18 JUL 2018 AT 15:50

तुम्हें ही लिखुं तुम्हें ही गाऊं
मेरे मन्मथ तुम्हें ही ध्याऊं
करो इतना उपकार हे प्रियवर
शब्द मेरे हो तुम बनो स्वर
किंचन मन मेरा है सदा से
पूर्ण करो मुझे सरल प्रेम से
जब तब मन विचलित होता है
मद विलास में ये सोता है
इस भव पंक से मुझे निकालो
नाथ कृपा कर मुझे उबारो
जन्म जन्म की क्षुद्र मति मै
मुझे अब अपने कर से सँवारो
बन जाऊ मै तेरी रागिनी
तेरी अधर पर ही लहराऊ
झंकृत हो जब तार ह्रदय का
नाम तेरा रटने लग जाऊ

- Nisha bhaskar