Nisha Gupta   (निशा गुप्ता)
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A Poem a day, keeps sadness away ✨ so keep Writing and spread the Love ❤
Joined 6 April 2020


A Poem a day, keeps sadness away ✨ so keep Writing and spread the Love ❤
Joined 6 April 2020
3 MAR AT 18:34

उफ़्फ!! ये पहली मुलाक़ात,
इसमें न दिन समझ आई, न रात!

मिलने से पहले की बेचैनी
और मिलने के बाद का सुकून,
है शब्दों में बयान करना,
बिलकुल ना आसान।

हवाओं का यूं आपके आने पर तेज़ चलना,
पत्तियों का यूं आपके आने पर तेज़ से गिरना,
मानो एक नए समय का कर रही थी आगाज़,
या यूं कहूँ, कि कहीं किसी पुराने रिश्ते से
मिलने का था ये आगाज़।
तो वही फूलों और पंखुरियों ने गिरकर
कर दिया इसे कहीं ज्यादा खास!

वैसे आपकी हंसी, आपकी बातें,
आपके साथ चला हर वो कदम,
मानो या ना मानो,
कर गई है मेरे दिल में घर!

इन हसीन लम्हों के लिए, है मेरा शुक्रिया,
इस पहली मुलाक़ात में, साथ बढ़े कदमों के लिए है शुक्रिया।

उफ़्फ!! ये पहली मुलाक़ात,
इसमें न दिन समझ आई, न रात!

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7 FEB 2024 AT 2:52

शुरू हो गया है अब ये
इजहार-ए-इश्क़ का सिलसिला,
सोच रहे है कर दे बयाँ
हाल-ए-दिल का?

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10 NOV 2023 AT 3:28

कभी उनकी आँखों में सुकून भर देखने मिल जाए।
कभी उनसे यूही गुफ़्तगू करने मिल जाएँ।
ना जाने वो इतने चुप-चुप से क्यों है रहते?
कभी हमसे भी दो शब्द ही कह जाए।

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24 OCT 2023 AT 23:30

माना मैंने, वह मेरे पास नहीं,
माना मैंने, हम उनके ख़ास नहीं।
उनकी तस्वीरें, उनका ख़्याल,
दिल इस से ही कर लेता हैं
उनका दिदार। 😄

हाँ हैं इंतज़ार उस वक़्त का,
जब होंगे वह हमसे रूबरू।
हाँ हैं इंतज़ार उन लम्हों का,
जब करेंगे वह हमसे गुफ्तगू।

माना मैंने, वह मेरे पास नहीं,
पर ना माना मैंने की वह मेरे ना होंगे कभी!

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26 SEP 2023 AT 3:59

बड़े दिनों बाद हम अपने अल्फ़ाज़ बयान करने आएँ हैं ।
बड़े दिनों बाद एक खूबसूरत तस्वीर से रूबरू हो आएँ हैं।

अजी हम तो उनकी राह तकते रहते हैं,
कमबख़्त वो हमारे जसबातों से अनजान रहते हैं।

मासूमियत तो उनके चेहरे पे यू साफ़ झलकती हैं,
उनका दीदार हो जाएँ तो आखें सुकून में रहती हैं।

हमें तो ये भी ना पता की उनके जिंदगी में कोई है की नहीं,
काश एक गुफ्तगू ही हो जायें इस आस में रहते हैं।

बड़े दिनों बाद हम अपने अल्फ़ाज़ बयान करने आएँ हैं ।
बड़े दिनों बाद एक खूबसूरत तस्वीर से रूबरू हो आएँ हैं।

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25 MAY 2023 AT 13:51

ये हवा जो रोज़ मेरी Balcony में आकर,
मेरे पौधों को ‘Hello’ कह जाती है।
ये धूप जो दोपहर में आकर,
रोशनी कर जाती है।
शाम ढले जब सुनहरीं किरणे लहरा जाती है।
रात हुए जब चाँदनी बिखर जाती।

हाये!!
सच बताऊ, बड़ा सुकून मिलता है। ❤️

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14 FEB 2023 AT 1:03

नींदे मेरी उड़ जाती है, उसकी उदासी को देखकर,
आँखें मेरी भर आती है, उसके दर्द को सुनकर,
चाहती हूँ बाँटना उसके गमो को उसके संग,
बस हक़ ही तो नहीं है उसपे हक़ जताने को लेकर!

बनना चाहते है उसके सुख-दुख के साथी,
बनना चाहते है हम उसके जीवनसाथी!

उस सर्दी में एक धूप जैसे,
उस धूप में एक छाँव के जैसे,
उस बारीश में एक आड़ के जैसे!
बनना चाहते है उसके सुख-दुख के साथी,
बनना चाहते है हम उसके जीवनसाथी!

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13 FEB 2023 AT 23:48

तुम पास होकर भी कितने दूर हो,
ये आज महसूस किया हमने।
तुम अतीत में थे डूबे,
ये आज महसूस किया हमने।
ना जानें हम कभी तेरी ज़िंदगी में,
दाखिल हो पायेंगे या नहीं,
लेकिन तुम्हें अपना बनाने की चाहत,
अब भी है हम में।

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16 JAN 2023 AT 22:23

एक सवाल ख़ुद से है की मन उसे ही क्यों चाहता है?
क्यों ये ख़्याल बस उसका रहता है?
क्यों ये आँखें उसे ढूँढती है?
क्यों ये मन बेचैन रहता है?
क्यों ये फ़र्क़ नहीं कर पाता
की
प्यार सिर्फ़ तुझे उस से है, उसे तुझ से नहीं !
जो कभी मिल ही नहीं सकता, ये मन उसके पीछे क्यों भागता है?
जो कभी अपना हो ही नहीं सकता,
ये मन उसे ही क्यू अपनाना चाहता है?
एक सवाल ख़ुद से है की मन उसे ही क्यों चाहता है?

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16 JAN 2023 AT 21:57


हम चाहते है उन्हें हद से ज़्यादा, लेकिन अजनबी से रहते है।
गहराइयाँ है सबसे ज़्यादा, लेकिन अजनबी से रहते है।
लोग जोड़ते है मेरा नाम उनसे, लेकिन हम जानते है सच्चाई को,
जो कभी हम पा ना सके, जो कभी हमारे हो ना सके,
जो कभी हम में खो ना सके, जो कभी हम में मदहोश ना हुए,
वह हमसे अजनबी बनके रहे।
वह हमसे अजनबी बनके रहे।

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