Niirupam Anand Singh   (निरूपम आनंद सिंह)
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Coder by profession, poet by passion
Joined 8 February 2019


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4 MAR 2022 AT 22:35

शराब की बोतलों में झुमंने वाली
कितनी जावेदां जिंदगी उस पल मयखानों मे आबाद हुए
तंग गलियों के उस शहर मे आज भी कहते है
ना जाने कितने आए,मजॅ लिए कितने बरबाद हुए ।

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25 JAN 2022 AT 22:18

दफ़न कर आया वो पूरा शहर, ना जिक्र हुई ना बात हुआ
गुजरते वक्त के पैमाने पर सिफॅ ,वो ही आबाद हुआ
जुल्म उसने किए, फसाने ,कहानी भी उसी के थे
पर हर दफा ,कमबखत अकेला मैं ही बर्बाद हुआ

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12 AUG 2021 AT 20:37

बदनाम ही सही, चलो तुम मुझे बदनाम कर दो,
इस तरह ही सही, हर जुबां पे मेरा नाम आम कर दो,
फुर्सत लेकर आऊंगा गर गिना ने हो तुम्हे कुछ शिकायतें,
कम से कम इन्ही मुलाकातों मे मेरे हर सुबह को शाम कर दो।

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11 AUG 2020 AT 18:32

कि बहुत दूर निकल आए हैं हम,
अब सब धुंधला धुंधला सा लगता है,
सड़क पे पडी राह ताकती पत्थरों की कहानियों में,
ये तेरा शहर भी मुझे अब उजरा उजरा लगता है।

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9 JUL 2020 AT 18:48

खामोश ये गलियां ऑर सड़कें क्यूं,
क्यूं शहर ये नजर में धुंधला सा है,
पहले तो यहां रात स्याह काली होती थी,
अब तो दिन भी गहरा गहरा सा है।


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8 JUL 2020 AT 20:20

काश फिर वही शामों का आना-जाना हो जाए,
फिर वही बिता मुअयन्न जमाना हो जाए,
कब तक कैद रहे ये भागती जिंदगी चार दिवारों में,
फिर वही दिन ऑर शाम हो,ऑर ये रोजाना पुराना हो जाए ।

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14 JUN 2020 AT 19:47

खबर मिल जाएगी तुम सबको सुबह,
मैं यूँ ही जो दबे पांव चला गया,
जिदंगी मौत से भी सस्ती यहां,
तुम देख लो,मै अभिनेता भी इससे हार गया,,,,

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2 JUN 2020 AT 21:44

Kho chuka hai tifl mera kahin,aur ab sirf khud se hi baat hoti hai
Ghar me kaid jindagi,na to subeh aur na hi meri ab raat hoti hai

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28 MAY 2020 AT 22:02

Kirdaar bahut hai mere
Bas lamhe lamho ki baat hai.....
Sawaal bahut hai mere
Bas kehne ko na harf na alfaaz hai....
Gar mile jikr hamara tumhe
Bolti hontho ke fashano me
Samajh lena tum wahan
Aaj waqt alag aur mere kisse hajar hai......

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31 MAR 2020 AT 20:40

मजबूर बन हम अब कैद है इन मकानों में,
रह रह कर बस खिड़कियों से झांक लेते है,
तासीर तनहाइयाँ है ऑर हम ही तो है बस,
तो कभी आइनें,तो कभी दिवारें निहार लेते हैं ।

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