अपनी कही ना एक उनकी सुनी,बड़ी ही यादगार वो मुलाकात हुई।एक टकटकी लगाए हुए ही दोनों,के दरमियान बहुत सारी बात हुई।दौर ए खामोशां ऐसा अलसुबह से,ख़बर ही ना हुई 'नीर' कब रात हुई।---© copyright, 06/11/2017-- -
अपनी कही ना एक उनकी सुनी,बड़ी ही यादगार वो मुलाकात हुई।एक टकटकी लगाए हुए ही दोनों,के दरमियान बहुत सारी बात हुई।दौर ए खामोशां ऐसा अलसुबह से,ख़बर ही ना हुई 'नीर' कब रात हुई।---© copyright, 06/11/2017--
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