अगर हर बार दोस्ती का सबूत देना पड़ रहा है, हर बार उन्हें अपनी ज़िन्दगी में उनकी अहमियत बतानी पड़ रही है। हर छोटी बात पर एक दूसरे को खोने का डर है। हर समय एक दूसरे को नीचा दिखाना है। तो ऐसी दोस्ती से अच्छा तो अकेला रहना मुनासिब है।
अगर मेरी किसी भी बात का बूरा लगा हो तो "मिच्चमी दुक्कड़म" Please forgive me...