वो सब समेट लेती है खुद में,गम के, खुशी के, शिकायत के,रंग सारे समाते हैं उसमें;लोगों की तरह रंग नहीं बदलती,एक सी ही रहती है-स्याह काली।और फिर भी लोग पूछते हैं-ऐसा क्या खास है उसमें? मोहब्बत क्यूँ है एक काली कमीज़ से? - © निहारिका
वो सब समेट लेती है खुद में,गम के, खुशी के, शिकायत के,रंग सारे समाते हैं उसमें;लोगों की तरह रंग नहीं बदलती,एक सी ही रहती है-स्याह काली।और फिर भी लोग पूछते हैं-ऐसा क्या खास है उसमें? मोहब्बत क्यूँ है एक काली कमीज़ से?
- © निहारिका