14 MAY 2017 AT 10:35

वो सब समेट लेती है खुद में,
गम के, खुशी के, शिकायत के,
रंग सारे समाते हैं उसमें;
लोगों की तरह रंग नहीं बदलती,
एक सी ही रहती है-
स्याह काली।

और फिर भी लोग पूछते हैं-
ऐसा क्या खास है उसमें?
मोहब्बत क्यूँ है एक काली कमीज़ से?

- © निहारिका