22 MAR 2017 AT 20:30

मेरी चौखट पर यादों की बारिश नहीं आती,
इस आँगन में मेरे अब गौरैया भी नहीं आती,
रोज़ बजती है घंटियाँ बेशुमार मेरे फोन में,
एहसासों से भरी पर कोई चिठ्ठी नहीं आती।

- © निहारिका