24 JUN 2017 AT 12:13

देखा नहीं मैंने
उस चाँद को
एक अरसे से...

हरजाई है,
सितमगर नज़र आता है,
एक अरसे से...

क्यों देखा करूँ,
इस ज़ालिम को
तू ही बता!

न तू ही है
और न तेरा साथ
एक अरसे से...

देखा जो गर
मैंने फिर इसे,
चेहरा तेरा दिखाई देगा;

तो तोड़ लिये
उससे सभी ताल्लुकात
एक अरसे से!

- © निहारिका