मैं थी किसी की इनायत कभी, रगबत में थी आशिक़ी मेरी,हर हर्फ से थी तिशंगी सी,पर मुकम्मल ना हो सकी मौसिकी मेरी.।। - Nidhi Jaiswal
मैं थी किसी की इनायत कभी, रगबत में थी आशिक़ी मेरी,हर हर्फ से थी तिशंगी सी,पर मुकम्मल ना हो सकी मौसिकी मेरी.।।
- Nidhi Jaiswal