Nidhi   (© निधि's Bleeding Pen🖋️)
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Joined 10 December 2016


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Joined 10 December 2016
15 AUG 2022 AT 13:28

जब लोगों की सोच खुलती हैं
जहाँ रोक टोक नहीं होती
कपड़े और gender देख
जहाँ नीयत नहीं खोती
आज़ादी तब मिलती है
जब सब एक सम्मान होते है
और तब भी जब एक दूसरे में
वो नफ़रत का बीज नहीं बोते हैं

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6 AUG 2022 AT 1:40

लोगो से थोड़ा दूर
सुन ने दिल की गहराई को
कुछ बातें थी
जो खुद से करनी थी
कुछ यादों से
आँखे भरनी थी
थोड़ा खुद से रु-ब-रु हो
हम फिर भीड़ की तरफ मुड़ गए
चंद कदम तन्हा चले...और
फिर भीड़ के साथ जुड़ गए

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30 JUL 2022 AT 17:21

भूल जाएँगे दुनिया के दिए गम
न होगी सरहदों पर कोई जंग
न होगा किसी की तरक्की से कोई दंग
हाथ पकड़ सब साथ चलेंगे संग
हर दिल में होगा चैन-ओ-अमन
साफ और नीला होगा ये गगन
पा ही लेंगे एक दिन ऐसा चमन!!

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26 JUL 2022 AT 22:52

जैसे खट्टी मीठी यादों की एक पुड़िया
दिल को गुदगुदाती कुछ बातें
बचपन वाली मस्ती की वो यादें
स्कूल न जाने के जाने कितने बहाने
कॉलेज के दिनों के अनगिनत फ़साने
TV के रिमोट को लेकर भाई- बहन से झगड़ा
दोस्तों ख़ातिर जाने किस किस से रगड़ा
जाने कब इन लम्हों में हम खो गए
अफ़सोस हैं कि आखिर हम क्यों बड़े हो गए

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17 JUL 2022 AT 17:13

अश्क़ हर पल नहीं बहता
तन्हाई यूँ ही नहीं मिलती
यादें दिल में है पलती
मुश्किलें आसान हो जाती है
उम्मीद का हाथ थामे रख
देख फिर मेहनत कैसे रंग लाती हैं

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18 APR 2022 AT 23:59

उनके हाथ थामने है
संग उनके ही चलना है
कभी गिरना कभी संभालना है
जो चले गए
न लौटेंगे वो
आने वाले
आ जाएंगे
बीते कल और आने वाले कल की
उधेड़बुन में...आज के फूल मुरझा जाएंगे

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18 APR 2022 AT 23:50

हम यहाँ है, वो कहाँ हैं
डूब रहा था जब अंधियारे में
तब तारों से रोशन हुआ ये जहां हैं
खो गए वो किस्सों के दिन
अब लोगों के पास वक़्त कहाँ हैं

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13 APR 2022 AT 10:44

किसी और के हाथ न देगें ये सपना
ऐसा नहीं कि किस्मत में होगा
तो मिल ही जाएगा
क्या पता किस्मत कह रही हो
के तब ही पाएगा
जब खुद जोर लगाएगा

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13 APR 2022 AT 1:58

एक चाय की प्याली...
वो किताब का मुड़ा पन्ना, और यादों में साथ तुम्हारा
कुछ बचपन की यादें...जवानी की बातें
कुछ अध-लिखे कलमे, थोड़े टूटे हुए से वादें
संभाल के रखा वो फूल, मेज़ पर जमी ये धूल
और उंगली से यूँही ही, कोई चित्र बनाना
कुछ लम्हों को याद कर, पलखों का भीग जाना
वहीं दूसरे ही पल...कुछ और याद कर हल्के से मुस्कुराना
न सुबह की धूप में, न रात के साए में
जाने क्यों होता है...
खूबसूरत यादों को शाम को ही आना

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11 APR 2022 AT 0:34

तेरी याद में अब आह भी नहीं भरनी
चले गए हो दूर...या कहीं खो गए हो
सच में भूल गए...या किसी के हो गए हो
अब तेरे नाम की आयतें नहीं पढ़नी
तुमसे अब बात नहीं करनी

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