इश्क़ को मुकम्मल होने के लिए साथ जरूरी है
और
खत्म़ होने के लिए भी आख़री मुलाकात जरूरी है...-
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**जिंदगी ऐसे खत्म हो जाए जैसे लिखते लिखते सियाही.....(गुलज़ार)❤️
* मोहब्बत... read more
तन्हाइयों के अंधेरे में खोया जो था,
बेमौत मर गया वो बे-आवाज़ रोया जो था......-
उखड़े उखड़े बहोत रहते हो तुम
कुछ अपने पुराने ख़त ही पढ़ आया करो
कुछ पुराने ज़ख्म आज भी ताजा है
तुम उनका मरहम ही बन जाया करो......-
तू मेरी जिंदगी में दरख्तों की तरह जडे जमा कर रख
क्या पता खो जाऊं मैं ही कहीं
बस तू मेरे हाथ में अपना हाथ थमा कर रख.....-
लिखती नहीं कहानी मैं उठाकर कहीं से
मेरे तो हर लफ्ज़ में किसी का ज़माना गुज़रा है......-
जब कह ना पाऊं अल्फ़ाज़ों में तुमसे कुछ
बस तब तुम मेरी आंखें पढ़कर समझ लेना.....-
ज़िक्र तेरा तो ख़्वाबों में भी होता है मेरे
बस मोहब्बत अपनी
मैं हर्फ-ए-बयां नहीं कर पाती.....-
बीत गया जो पल में वो लम्हा नहीं हूं मैं
मुझे भूलाने में यकीनन तुझे सदियां लगेंगी.......-
कुछ कर गुजरने की चाह अच्छी है
चल रहा है तू जिस पर वो राह अच्छी है
सिर्फ तस्सवुर कर बैठने से कुछ नहीं होगा
उठ हिम्मत कर यकीनन तेरी उड़ान अच्छी है......-