दिखने बिकने का फ़र्क़ मिट सा गया है
जो ही जैसा है ख़रीदा ही गया है-
हर हाल को बयां कर पाऊं ऐसा मेरा लिखना
में अव भी काग... read more
सोशल मीडिया के ज़माने में हैं दिल बड़ा बेचैन है
कहने को कुछ होता है बता कुछ देते हैं
अरमान कुछ होते है जता कुछ देते हैं
स्टेटस स्टोरी पर लगाकर अपने दिल का हाल बता देते हैं
बस यही करते रहते हैं-
जो सीढ़ी मेरे अपनों के रास्ते काट रही हो
उस पर चलने का मतलव ही क्या-
नज़रों की ठगी भी बड़ी क़ातिलाना है
पहली बार नज़र से नज़र क्या मिली
हाय!! हम तो आशिक़ हो गए😘❣️-
तुम मेरी मोहब्बत आज़माना चाहती हो ना तो आओ मेरे शहर हर गली तुम्हारे इंतज़ार में है
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औरत का कर्ज़
में औरत होने का कर्ज़ उतार रही हूं
कभी आंसुओ के पीछे गम छिपा रही हूं
कभी दामन पर दाग लगा रही हूं
में औरत होने का कर्ज़ उतार रही हूं
हर सुबह एक नया इम्तहान दे रही हूं
पैदा होते ही संस्कारो का बोझ ढो रही हूं
एक पायल पहना कर, समाज बेडिया डाल देता है
में बिंदी लगाती हूं पर नाम की दूसरे का होता है
हर श्रंगार पर नाम दूसरे का नाम लेती हूं
में औरत होने का कर्ज़ हर पल उतारती हूं
में से हम बन पहचान गवा देती है नारी
हर वक्त एक ओर कर्ज़ उतारती है नारी
चरित्र का आंकलन हर पल किया जाता
नर नारी का भेंद हर युग में युही चला आता
है गुज़ारिश! है गुज़ारिश परमात्मा से
इस धरती के पाप से ना सीता बच पाई
ना मीरा बच पाई ।
आम नारी तो क्या खाख बच पाएगी
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सरकारी नौकरी का बाज़ार कुछ इस कदर चला
जिसके हाथ लगी वो जी गया
जिसके हाथ ना लगी वो जीते जी मर गया-
गरीब की रोटी पर सिकता वोट
गरीब का घर वोट बैंक बन रहा
दो वक्त की रोटी के बदले वोट
मांगे जा रहे सरेआम हिंदुस्तान मे-