जीवन की सबसे बड़ी भूल है दर्द न समझने वाले को,चोट के घाव दिखाने की कोशिश करना ! -
जीवन की सबसे बड़ी भूल है दर्द न समझने वाले को,चोट के घाव दिखाने की कोशिश करना !
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और जिसे अपने किये पे पछतावा नहीं !उसके सामने आँखों से खून बहा के भी तुम,क्या इंसाफ कर लोगे ! -
और जिसे अपने किये पे पछतावा नहीं !उसके सामने आँखों से खून बहा के भी तुम,क्या इंसाफ कर लोगे !
ये जो शोर है तुम्हारे न होने का !तुम्हारे न होने से ज्यादा विकट है !! -
ये जो शोर है तुम्हारे न होने का !तुम्हारे न होने से ज्यादा विकट है !!
तेरे न होने पे भी!तेरे बारे में,लिखता रहा हूँ मैं।मोहहोब्बत इससे ज्यादा भी कुछ,भला होती है क्या? -
तेरे न होने पे भी!तेरे बारे में,लिखता रहा हूँ मैं।मोहहोब्बत इससे ज्यादा भी कुछ,भला होती है क्या?
ऐक निगाह भर के,देखा ही तोह था उसने!ये कम्बख़्त, हरारत कैसी ? -
ऐक निगाह भर के,देखा ही तोह था उसने!ये कम्बख़्त, हरारत कैसी ?
नज़र के मसले भी बड़े संगीन होते हैं!देखता महफ़िल को हूँ,पर निगाह रुकती कम्बख़्त,उसके ही आस पास है। -
नज़र के मसले भी बड़े संगीन होते हैं!देखता महफ़िल को हूँ,पर निगाह रुकती कम्बख़्त,उसके ही आस पास है।
वो लौट आकर कहता है,सुकूँ हो तुम!और तुम सामने से कहते हो, कि! मुझ मे भला, रखा क्या है?? -
वो लौट आकर कहता है,सुकूँ हो तुम!और तुम सामने से कहते हो, कि! मुझ मे भला, रखा क्या है??
मिट्टी के घर सा था मैं!खुश था ।चुभने लगा हूँ ख़ुदको,शहर की इमारत, बना हूँ जब से।। -
मिट्टी के घर सा था मैं!खुश था ।चुभने लगा हूँ ख़ुदको,शहर की इमारत, बना हूँ जब से।।
सुनो !जब जिम्मेदारियाँ निभाते निभाते,तुम थक जाओ ज़िन्दगी में ।तब वक्त निकाल के,इत्मिनान से कभी,तुम आना मेरे पास।उतनी ही नज़ाकत से मिलूँगा तुमसे मैं,बस! किसी औऱ का हो के ।। -
सुनो !जब जिम्मेदारियाँ निभाते निभाते,तुम थक जाओ ज़िन्दगी में ।तब वक्त निकाल के,इत्मिनान से कभी,तुम आना मेरे पास।उतनी ही नज़ाकत से मिलूँगा तुमसे मैं,बस! किसी औऱ का हो के ।।
एक तलब सी होती है !कलम को हाथ लगाता हूँ जब भी। बोतल शराब, किसी साकी के, हाथ आयी हो जैसे।। -
एक तलब सी होती है !कलम को हाथ लगाता हूँ जब भी। बोतल शराब, किसी साकी के, हाथ आयी हो जैसे।।