Neha ....   (A flame⚡)
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"कुछ भी नहीं हूँ !! एक ज़िस्म के सिवा।।"❤️
Joined 25 May 2017


"कुछ भी नहीं हूँ !! एक ज़िस्म के सिवा।।"❤️
Joined 25 May 2017
6 APR AT 23:42

जीवन की सबसे बड़ी भूल है

दर्द न समझने वाले को,

चोट के घाव दिखाने की कोशिश करना !

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6 APR AT 14:21

और जिसे अपने किये पे पछतावा नहीं !

उसके सामने आँखों से खून बहा के भी तुम,

क्या इंसाफ कर लोगे !



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4 APR AT 13:13

ये जो शोर है तुम्हारे न होने का !

तुम्हारे न होने से ज्यादा विकट है !!

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1 FEB 2020 AT 23:48

तेरे न होने पे भी!
तेरे बारे में,लिखता रहा हूँ मैं।
मोहहोब्बत इससे ज्यादा भी कुछ,
भला होती है क्या?

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1 FEB 2020 AT 23:43

ऐक निगाह भर के,
देखा ही तोह था उसने!
ये कम्बख़्त, हरारत कैसी ?

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26 JAN 2020 AT 23:15

नज़र के मसले भी बड़े संगीन होते हैं!
देखता महफ़िल को हूँ,
पर निगाह रुकती कम्बख़्त,उसके ही आस पास है।

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16 JAN 2020 AT 22:27

वो लौट आकर कहता है,
सुकूँ हो तुम!
और तुम सामने से कहते हो, कि!
मुझ मे भला, रखा क्या है??

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14 JAN 2020 AT 13:54

मिट्टी के घर सा था मैं!
खुश था ।

चुभने लगा हूँ ख़ुदको,
शहर की इमारत, बना हूँ जब से।।

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11 JAN 2020 AT 22:29

सुनो !
जब जिम्मेदारियाँ निभाते निभाते,
तुम थक जाओ ज़िन्दगी में ।
तब वक्त निकाल के,
इत्मिनान से कभी,
तुम आना मेरे पास।
उतनी ही नज़ाकत से मिलूँगा तुमसे मैं,
बस! किसी औऱ का हो के ।।

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7 JAN 2020 AT 23:09

एक तलब सी होती है !
कलम को हाथ लगाता हूँ जब भी।
बोतल शराब, किसी साकी के, हाथ आयी हो जैसे।।

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