एहसास हमारे शब्द बनकर कागज पर छप जाते हैंनित कितनी ऊंचाईयां कवियूंँ ही तय कर आते हैशब्दों की माला मे गुंथकर ये कागज का मोल बढाते हैएहसास हमारे शब्द बनकर जब कागज पर छप जाते हैं ।। - Neetish
एहसास हमारे शब्द बनकर कागज पर छप जाते हैंनित कितनी ऊंचाईयां कवियूंँ ही तय कर आते हैशब्दों की माला मे गुंथकर ये कागज का मोल बढाते हैएहसास हमारे शब्द बनकर जब कागज पर छप जाते हैं ।।
- Neetish