Neetish Patel   (Neetish)
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Joined 21 November 2017


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Joined 21 November 2017
18 HOURS AGO

मेरे पीछे चाहने वालों की
फौज नही तो क्या
कभी कभी अपने भी दिन आते है

कोई मुझमें ठहर गया
कोई छू कर गुजर गया
मैं आजाद विचारो का थोड़ा
गुलाम सा लड़का हूं
क्योंकि में खास शहर का
आम सा लड़का हूं

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YESTERDAY AT 2:07

चुभती है खामोशी अब
हर तरफ गम नजर आता है

मै और तुम एक अलग लहजा है
मुझे तो बस हम नजर आता है

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27 MAR AT 21:55

कहानी की तरह ही ये जिंदगी, पहले भूमिका बनायेगी
जीवन के महत्वपूर्ण क़िरदारों से परिचय करवायेगी
मिलेंगे कई लोग यहां, बिछडेंगे कई लोग यहां
कुछ खास तो कुछ अजनबी बन कर रह जायेंगे
कहानी की तरह ही ये जिंदगी नया मोड़ दिखलायेगी
कभी बे-वजह रुलायेगी तो कभी खुब ठहाके लगवायेगी
पढेंगें तुम्हे बहुत से लोग यहाँ पर कुछ ही समझ पायेगें

इस कहानी में,
कभी कुछ पा लेने की खुशी होगी,
तो कभी कुछ खो देने का डर सतायेगा
कुछ ख्वाहिशें पूरी होगी तो कुछ ख्वाब अधूरे रह जायेगें
जिंदगी अपने इस रंगमंच पर हमे न्रतकी जैसा नचवायेगी
मुख पर खुशी का मुखौटा पहनाकर अंदर-अंदर से रुलायेगी
अत: मिट्टी से बने थे और फिर मिट्टी में ही मिल जाएंगे
कहानी ही तो है जिंदगी, आज नहीं तो कल बन जायेगी

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26 MAR AT 20:45

ये लेखनी की बातें
वो ख्वाबों में मुलाकातें
सब तुमसे ही थीं
मगर तुमने
पहचाना ही नहीं।

मैं लिखता रहा तुम पढ़ती रहीं
मैं कहता रहा तुम सुनती रहीं
इतना पढ़कर-सुनकर भी
तुम पढ़-सुन न सकीं

सब तुम्हारे लिए ही था
मगर तुमने
अपना माना ही नहीं।

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20 MAR AT 22:24

क्या सच आंखे ही कहती हैं
हमने इनमें सच को मरते
और झूठ संवरते देखा है.....

उदासी शब्द, उदास नहीं
मुस्कान होठों के पास सही
ख़बर रही न चित्त ह्रदय की
दिल, आंखों में रख कर देखा है......
हमने झूठ संवरते देखा है....

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17 MAR AT 15:21

टूटते तारे से तुझको हर रोज़ मांगा था
जब तू मिला नहीं तो
तारे के टूटने का दर्द समझ आया था
भूलने को भुला दी सारी बातें
पर जब याद आई तो
भूलने का एहसास समझ आया था
विडम्बना यही है कि तुझसे जुड़ी
हर बात तेरे जाने के बाद समझ आया
तुझसे कितना कुछ कहना था
जब कलम उठायी तो
कुछ शब्द लिखने के बाद समझ आया था

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16 MAR AT 10:33

वो रिश्ता, उलझन या सुकून
पता नहीं, जो भी था अच्छा था,
उसका ख्याल, संजीदा या जुनून
पता नहीं, जो भी था अच्छा था ।।

उसका मिलना, इत्तेफाक या किस्मत
पता नहीं, जो भी था अच्छा था,
उसके साथ रहना दहर या जन्नत
पता नहीं, जो भी था अच्छा था ।।

उसकी बातें, सच या अफसाना
पता नहीं, जो भी था अच्छा था,
वो मेरा अपना या बेगाना
पता नहीं, जो भी था अच्छा था ।।

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13 MAR AT 23:17

किस कद़र जूझता हैं,
वो दीप रात भर,
सुबह तल़क,
अंधेरों से लडते हुए,
फिर बुझ जाता हैं,
भोर में,
छुप जाता हैं वो प्रकाश,
मगर रात भर जलते रहना ही,
जीत थी उसकी,
जिसे बस उसने ही देखा ✍️

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12 MAR AT 7:35

मैं जानता हूँ ,मैं तुमसा नहीं...
मेरे अंदर का इंसान भी मरा नहीं ,
कोई बुरा करे तो मुझे भी बुरा लगता है..
पर सवाल अगर तुम्हरा हो,
तो मैं खुद को समझा लूंगा...
तुम साथ चलने को राजी ही ना थे,
एक दफा फिर से खुद को याद दिला लूंगा..
अगर दिल न माना फिर भी,
तो एक कोरे कागज पर सौ दफा तुमको लिखूंगा,
और फिर दिल को भी मना लूंगा..
लिख के तुम्हारा नाम मैं मिटा दूंगा..

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11 MAR AT 16:13

मै उसके केशों में लगे गुल को जानता हूँ
मै उसकी धड़कनो की सभी धुन को जानता हूँ
मै उसके लबो पर रहने वाले लफ्ज़ जानता हूँ
मै उसकी बदन से आने वाली महक जानता हूँ
मै उसके ख्वाबो में आने वाले ख्याल जानता हूँ
मै उसकी आंखो में नमीं की वजह जानता हूँ
मै उसके होठो पर खुशी की वजह जानता हूँ

ये अलग बात है जब कोई पूछे तो सच कहता हूंँ,
मै उस लड़की को नही जानता हूँ

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