करनी हो जो नफ़रत.....तो..इत्मीनान से कर......,,बस....बांध दे....... अंगूठे को...अपने...अपनी पुरानी चाहत की तरह....,,क्यों बार बार......हर बार....फ़ोनलोक खोलकर........बस......तीन अक्षर लिखता है......मेरे मनहूस नाम के....बोल...? - नीरस
करनी हो जो नफ़रत.....तो..इत्मीनान से कर......,,बस....बांध दे....... अंगूठे को...अपने...अपनी पुरानी चाहत की तरह....,,क्यों बार बार......हर बार....फ़ोनलोक खोलकर........बस......तीन अक्षर लिखता है......मेरे मनहूस नाम के....बोल...?
- नीरस