11 DEC 2017 AT 8:46

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किनारों को तोड़ना...
दरिया का रुख मोड़ना...
बड़ा ग़जब खेल है ' ग़ालिब '.......

नफरतों को मोहब्बत में.....यूं भी तब्दील करता हूँ...

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- नीरस