सच पूछो तो हम औरतें बरगद की तरहा होतीं हैं जिसकी छांव में घर के बच्चे ही नहीं बुजुर्ग भी चैन की सांस लेते हैं। -
सच पूछो तो हम औरतें बरगद की तरहा होतीं हैं जिसकी छांव में घर के बच्चे ही नहीं बुजुर्ग भी चैन की सांस लेते हैं।
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बेटियों के लिए जब किसी अपने के दुनिया से चले जाने के बाद उन्हें लौटना होता है ससुराल और निभानी होती है दिवाली होली की रस्में। -
बेटियों के लिए जब किसी अपने के दुनिया से चले जाने के बाद उन्हें लौटना होता है ससुराल और निभानी होती है दिवाली होली की रस्में।
जिसे चलाने के लिये नजर चिड़िया की आंख पर होनी चाहिए। -
जिसे चलाने के लिये नजर चिड़िया की आंख पर होनी चाहिए।
कैसे हाले-दिल बयाँ करें और नजरें मिलाएँ तो ये आंखें छलक जाती हैं। -
कैसे हाले-दिल बयाँ करें और नजरें मिलाएँ तो ये आंखें छलक जाती हैं।
कि यहाँ पैसों का खेल है जो तुम पैसे उछाल पाओ तो है हर दाव तुम्हाराजो ना उछाल पाओ तो जीवन खत्म है तुम्हारा। -
कि यहाँ पैसों का खेल है जो तुम पैसे उछाल पाओ तो है हर दाव तुम्हाराजो ना उछाल पाओ तो जीवन खत्म है तुम्हारा।
दर-बदर फिर रहे हैं ए काश कि होते पंख हमारे भी तो ज़रा कदमों को किसी रोज़ राहत मिली होती। -
दर-बदर फिर रहे हैं ए काश कि होते पंख हमारे भी तो ज़रा कदमों को किसी रोज़ राहत मिली होती।
ढूंढती हूँ मैं माँ तुम्हारे कि शायद इन्हीं पर चलकर तुमसे कहीं मुलाकात हो जाये। -
ढूंढती हूँ मैं माँ तुम्हारे कि शायद इन्हीं पर चलकर तुमसे कहीं मुलाकात हो जाये।
सुन सुन के मन मेरा थकता है जो ज़िद पे अड़ जाए दिल ये मेरा मन की भी अनसुनी करता है। -
सुन सुन के मन मेरा थकता है जो ज़िद पे अड़ जाए दिल ये मेरा मन की भी अनसुनी करता है।
कई बार मैंने अपने मन के अँधेरों को जलाया है ठीक उसी तरह जिस तरहराम ने जलाया था रावण को कभी। -
कई बार मैंने अपने मन के अँधेरों को जलाया है ठीक उसी तरह जिस तरहराम ने जलाया था रावण को कभी।
अपने ही भीतर पाई । -
अपने ही भीतर पाई ।